- अक्सर हम सुनते हैं कि ‘होश’ में रहना सबसे बड़ी साधना है, और इस बात से प्रेरित होकर हम होश को साधना शुरू कर देते हैं, लेकिन कुछ समय बाद ‘होश की साधना’ एक अतिरिक्त कार्य जैसी लगने लगती है।
- ऐसे में कैसे होश साधा जाए कि वह बोझ जैसा न लगे – → इसके लिए हमें प्रत्येक कार्य का आनंद लेने की कला सीखनी होगी। जिसे आनंद लेने की कला आ गया, उसे वर्तमान में रहना आ गया, क्योंकि जब भी आप किसी भी चीज का आनंद लेते हैं तो आप वर्तमान में होते हैं। इसलिए आनंदपूर्वक कार्य करना ही होशपूर्वक कार्य करना है।
→ यदि आप ब्रश करते हुए अपने दाँतों पर उसके स्पर्श का आनंद लेते हैं, तो आप वर्तमान में होते हैं।
→ यदि आप स्वाद लेकर भोजन करते हैं, तो आप वर्तमान में होते हैं, क्योंकि स्वाद कभी भूतकाल या भविष्य में नहीं लिया जाता।
→ उँगलियाँ चटकाने जैसे काम का भी यदि आनंद लिया जाए, तो वो भी वर्तमान में फँक देता है।
इसलिए प्रत्येक कार्य का आनंद लेकर, उस कार्य को वर्तमान में रहने और होश को साधने का माध्यम बनाया जा सकता है।
– alertyogi
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