अचाह से छलांग..

desirellessness

नान—इन के संबंध में कथा है—एक झेन फकीर। एक पहाड की तलहटी पर, जहां पहाड़ पर ऊपर एक तीर्थ था और हजारों यात्री वर्ष में यात्रा करते थे पैदल पहाड़ पर, नान—इन पहाड़ की तलहटी में एक झाड़ के नीचे लेटा रहता था। अनेक साधु—भिक्षु भी यात्रा पर जाते थे। अज्ञानियों का कोई गृहस्थों से संबंध नहीं है। साधु —संन्यासी भी वैसे ही अज्ञान में हैं। भिक्षु भी, संन्यासी भी, वे भी पहाड़ पर यात्रा करने जाते हैं। जैसे वहा कुछ हो! नान—इन झाड़ के नीचे पडा रहता था।

एक दिन कुछ भिक्षुओं ने उसे देखा। वे भी विश्राम करने उसके वृक्ष के पास रुके थे। उन्होंने कहा, नान—इन, हम हर वर्ष यात्रा पर। आते हैं। तुम इस झाड़ के नीचे कब तक पड़े रहोगे? यात्रा नहीं करनी है? हमने तुम्हें कभी तीर्थ के उस मंदिर में नहीं देखा, पहाड़ की चोटी पर नहीं देखा!

नान—इन ने कहा कि तुम जाओ। हम वहीं हैं, जहां तीर्थ है। हम उस जगह बहुत पहले पहुंच गए हैं। तुम पहाड़ पर खोज रहे हो जिस जगह को, उस जगह तो हम बहुत पहले पहुंच गए हैं। हम तीर्थ में हैं। और नान—इन जहां होता है, वहीं तीर्थ होता है।

समझा उन्होंने कि यह आदमी पक्का नास्तिक मालूम होता है, अहंकारी मालूम होता है। क्योंकि नान—इन ने कहा, नान—इन जहां होता है, वहीं तीर्थ है। तीर्थ हमारे साथ चलता है। तीर्थ हमारी हवा है। हम तीर्थ में नहीं जाते।

लेकिन यह नान—इन ठीक कह रहा है। एक सिद्ध पुरुष के वचन हैं।

जिस दिन कहीं जाने को कुछ शेष न रह जाए!

कब होगा ऐसा? ऐसा तभी होगा, जब कोई वासना न रह जाएगी। जब तक कोई वासना है, तब तक कहीं जाने का मन बना ही रहेगा। चाहे भौतिक या आध्यात्मिक ।

वासनाग्रस्त आदमी कहीं न कहीं जा रहा है, जाने की सोच रहा है; योजना बना रहा है, मगर जा रहा है। वस्तुत: न जा रहा हो, तो कल्पना में जा रहा है। लेकिन वासनाग्रस्त आदमी कहीं न कहीं जा रहा है। एक बात पक्की है, वासनाग्रस्त आदमी वहां नहीं मिलेगा, जहां वह है। वहा आप उसको नहीं खोज सकते। अपने घर में वह कभी नहीं ठहरता। वह हमेशा कहीं और अतिथि है।

सिद्ध पुरुष का अर्थ है, जो अपने घर में आ गया, जो अब वहीं है, जहां है। उससे अन्यथा जाने का कोई भाव नहीं। उससे अन्यथा जाने की कहीं कोई वृत्ति नहीं। उससे अन्यथा होने की कोई कामना नहीं। जो है, जहां है, जैसा है, राजी है। और यह राजीपन पूरा है।

ओशो

चाह का केंद्र मैं होता है, हूं को कैसी चाह , उसका होना ही पर्याप्त है ।


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