– उस चीज पर ध्यान दो, जिसे सिर्फ तुम जान सकते हो ।
– जैसे यदि तुम चाय पी रहे हो तो बाहर तुम्हारे साथ बैठे लोग चाहे तुम्हें चाय पीते हुए देख रहे हों लेकिन चाय का स्वाद केवल तुम जान रहे हो, यह तुम्हारा व्यक्तिगत अनुभव है, इसका आनंद लो, इसके प्रति होशपूर्ण रहो।
– जैसे यदि तुम पार्क में टहल रहे हो तो, हो सकता है कि तुम्हें वहाँ सैकड़ों लोग टहलते हुए देख रहे हों, लेकिन टहलते हुए तुम्हारे पैरों पर महसूस होने वाला दबाव केवल तुम ही जान सकते हो, यह व्यक्तिगत अनुभव है, इसका आनंद लो, इसके प्रति होशपूर्ण रहो।
-जैसे अभी मैं ये पोस्ट लिख रहा हूँ, और अगर मेरे आस पास 10 लोग बैठकर मुझे देख रहे हैं, तो वो केवल मुझे बाहर से देख सकते हैं, वो ये नहीं जान सकते कि पोस्ट लिखते समय जब मैं टाइप कर रहा हूँ , तो मुझे अपनी उंगलियों पर कैसी संवेदनाएं महसूस हो रही हैं, उन संवेदनाओं को केवल मैं जान रहा हूँ।यह व्यक्तिगत अनुभव है, इसका आनंद लेकर, इसके प्रति होशपूर्ण रहना है ।
– प्रत्येक कार्य करते समय ऐसी व्यक्तिगत अंतर अनुभूति के प्रति होश रखकर चैतन्यता का विस्तार किया जा सकता है।
alertyogi
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