वर्तमान में जीने का सहज मार्ग

monkk

A टास्क करने की जल्दी क्योंकि B टास्क करना है,B टास्क करने की जल्दी क्योंकि C टास्क करना है,C टास्क करने की जल्दी क्योंकि D टास्क करना है… यही चलता रहता है और हम हमेशा वर्तमान को चूक जाते हैं….

उदाहरण के लिए जब हम ब्रश करते हैं तो हम होश में नहीं करते क्योंकि हमें नहाने की जल्दी होती है।
होश में नहीं नहाते, क्योंकि उसके बाद खाना खाने की जल्दी होती है।
होश में नहीं खाते क्योंकि काम पर जाने की जल्दी होती है।
होश में बर्तन नहीं धोते, क्योंकि उसके बाद खाना बनाने की जल्दी होती है।
होश में खाना नहीं बनाते, क्योंकि उसके बाद खाना खाने या खिलाने की जल्दी होती है।
होश में खाना नहीं खाते, क्योंकि उसके बाद सोने की जल्दी होती है।

इस तरह से हम जो कुछ भी करते हैं वो होश में नहीं होता क्योंकि हमें उस काम से अगले काम को करने की जल्दी होती है।

क्या वर्तमान में होने का कोई ऐसा तरीका है कि हम A टास्क कर रहे हों तो A पर ही ध्यान रहे, और B टास्क कर रहे हों तो B पर ही ध्यान रहे … ?

हां, एक तरीका अपनाया जा सकता है.

जो भी करें, आनंद लेकर करें,,,अब इसका क्या मतलब है कि आनंद लेकर करें…?

माना कि आप चल रहे हैं, तो पैरों के तलवों पर जमीन के स्पर्श या दबाव का आनंद लेकर चलें ।.

यदि आप खाना खा रहे हैं तो स्वाद का आनंद लें।

यदि किसी वस्तु को उठा रहे हैं तो भुजाओं की मांसपेशियों पर पढ़ने वाले जोर का आनंद लें।

हर चीज का आनंद लिया जा सकता है।
माना कि चलने से मिले आनंद की संवेदनाएं भोजन से मिलने वाले आनंद की संवेदनाओं की तुलना में अधिक तीव्र नहीं होंगी, लेकिन दोनों ही बराबर रुप से आपको वर्तमान में ले आएंगी।

इस प्रकार छोटे छोटे आनंद लेने पर बार बार वर्तमान की झलक मिलेगी और विचारों की गति के धीमे होने का स्वाद मिलने लगेगा।

इस प्रकार से A टास्क करने पर A टास्क पर ही ध्यान रहेगा , क्योंकि हम उसका आनंद लेकर उसे कर रहे होंगे।

alertyogi


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